प्रश्न 1. कविता में तीन उपस्थितियाँ हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर-कवयित्री ने जीवन को तीन भागों में बाँटकर जीवन-सत्य को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। कविता बच्चों के अक्षर-ज्ञान से आरंभ होती है। दूसरे चरण में जीवन के उतार-चढ़ाव का वर्णन है तो तीसरे में सृष्टि की विकास-कथा का वर्णन करके कवयित्री ने बाल्यावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था को उजागर किया है।
प्रश्न 2. कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवयित्री ने कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट करते हुए कहा है कि व्यंजन वर्गों में ‘क’ प्रथमाक्षर है। इसका उच्चारण कंठ से होता है। ‘क’ का उच्चारण कंठ से होने के कारण बच्चा कइिनाई का अनुभव करता है, क्योंकि यह उसके जीवन का प्रथम प्रयास होता है।
प्रश्न 3. खालिस बेचैनी किसकी है? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-खालिस बेचैनी खरगोश की है, क्योंकि खरगोश कबूतर के भय से आक्रांत है। यहाँ बेचैनी का अभिप्राय जीवन में आने वाली कठिनाइयों से है। कवयित्री इस बेचैनी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि अनुकूल प्रयास से ही जीवन में सफलता मिलती है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपनी शक्ति और क्षमता के अनुसार लक्ष्य-प्राप्ति की अपेक्षा रखनी चाहिए, अन्यथा खरगोश की खालिस बेचैनी के समान छटपटाना पड़ेगा।
प्रश्न 4. बेटे के लिए ‘ङ’ क्या है और क्यों?
उत्तर—बेटे के लिए ‘ड’ माँ और बेटा है क्योंकि ‘ङ’ के ‘ड’ को वह ‘माँ’ मानता है तथा ‘ङ’ के आगे लगे अनुस्वार को गोदी में बैठा बेटा । तात्पर्य यह कि माँ-बेटे अर्थात् ‘ड’ एवं अनुस्वार से ‘ङ’ वर्ण बनता है, उसी प्रकार माँ-बेटे के आपसी संबंध से सृष्टि- कथा विकास पाती है।
प्रश्न 5. बेटे के आँसू कब आते हैं और क्यों ?
उत्तर—बेटे के आँसू तब आते हैं जब माँ-बेटे अर्थात् ‘ङ’ का सही उच्चारण नहीं कर पाता है। तात्पर्य कि जब व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से ऊब जाता है, उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति में संदेह जान पड़ता है, तब उद्विग्नतावश आँखों में आँसू आ जाते हैं। अथवा ऐसे कहें कि निराशा की स्थिति उत्पन्न होने के कारण आँसू आ जाते हैं।
प्रश्न 6. कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कवयित्री कविता के अंत में ‘शायद’ अव्यय का प्रयोग करके यह स्पष्ट करने का प्रयास करती है कि जीवन के आरंभ में कठिनाइयाँ असहज जान पड़ती हैं। इस असहजावस्था में व्यक्ति अपना धैर्य खो बैठता है। इस अधीरता की घड़ी में वह जीवन से निराश हो जाता है। अतः ‘शायद’ के माध्यम से कवयित्री जीवन-सत्य अर्थात् सृष्टि- विकास की कथा स्पष्ट करती है कि इस सृष्टि का विकास अन्तर्द्वन्द्व के बीच हुआ है
प्रश्न 7. कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती हैं ? विचार करें।
उत्तर–प्रस्तुत कविता ‘अक्षर-ज्ञान’ विचार प्रधान कविता है। इसमें कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान के माध्यम से जीवन-सत्य को स्पष्ट किया है। कवयित्री का मानना है कि जीवन में कठिनाइयों का आना स्वाभाविक है, लेकिन इन कठिनाइयों का सामना करना व्यक्ति का काम है। जो व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुकूल प्रयास करता है अर्थात लक्ष्य निर्धारित करता है, उसे अवश्य सफलता मिलती है। हानि- लाभ, जीवन-मरण, उत्थान-पतन आदि सृष्टि के नियम हैं। इसलिए व्यक्ति को सदा यह ध्यान रखना है कि जिसका जन्म हुआ, उसकी मृत्यु निश्चित है। अतएव सारे भ्रमों को मन से निकालकर कर्तव्यपथ पर बढ़ते रहना चाहिए।