प्रश्न 1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ?
उत्तर-कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार इसलिए लगता था, क्योंकि वह हर क्षण सीना ताने दरवाजे पर तैनात रहता था। जिस प्रकार चौकीदार घर की सुरक्षा में दरवाजे पर खड़ा रहता है, उसी प्रकार वह वृक्ष कवि के दरवाजे पर सदा लहराता रहता था, जो इस बार लौटने पर नहीं था।
प्रश्न 2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था ?
उत्तर-वृक्ष और कवि में हमेशा यही संवाद होता था कि वृक्ष एक चौकीदार की भाँति दूर से ही पूछता था कि तुम कौन हो ? कवि एक मित्र के रूप में अपना परिचय देता था। तात्पर्य यह कि मानव एवं पेड़ में अन्योनाश्रय संबंध है। मानव पेड़ की रक्षा करता है तो पेड़ प्राणवायु (ऑक्सीजन) छोड़कर कवि को दूर से ही इसलिए सावधान करता है कि मेरे बिना तुम्हारा अस्तित्व कायम नहीं रह सकता तो कवि अपने को दोस्त बताकर उसे आश्वस्त करता है कि हम तुम्हारे रक्षक हैं। इस प्रकार वृक्ष एवं कवि में हित-अनहित का संवाद होता था।
प्रश्न 3. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों ?
उत्तर–कविता का समापन करते हुए कवि यह अंदेशा व्यक्त करता है कि यदि इसी प्रकार वृक्ष की कटाई होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब वर्षा के अभाव में नदियाँ सूख जाएँगी, धरती बंजर हो जाएगी तथा वायुमंडल इतना गर्म हो जाएगा कि धरती जीव-जन्तुओं से रहित हो जाएगी। तात्पर्य यह कि जब पेड़ नहीं रहेंगे तो कार्बन की मात्रा बढ़ जाएगी क्योंकि पेड़-पौधे स्वयं कार्बन ग्रहण करके ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अर्थात् इन दोनों की असमानता के कारण पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा। फलतः लोग प्राकृतिक प्रकोप एवं घातक रोगों के शिकार हो जाएंगे।
प्रश्न 4. घर, शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों ?
उत्तर-घर, शहर और देश के बाद कवि नदियों को नाला होने से, हवा को धुआँ होने से, भोज्य पदार्थ को विषाक्त होने से, जंगल को मरूभूमि बनने से तथा मनुष्य को जंगल हो जाने से बचाने की बात करता है। क्योंकि पेड़-पौधे के कारण ही वर्षा होती है, धरती उर्वर रहती है तथा वायुमंडल में संतुलन बना रहता है। यदि पेड़-पौधे नहीं रहेगे तो ऑक्सीजन के अभाव में मानव-सभ्यता का विनाश हो जाएगा। इसीलिए कवि पेड़ो की कटाई पर रोक लगाकर तथा वृक्षारोपण करके इन चीजों को बचाने की बात करता है।
प्रश्न 5. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—किसी भी कविता या कहानी का शीर्षक विषय-वस्तु, उद्देश्य, घटना, चरित्र के आधार पर रखा जाता है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘एक वृक्ष की हत्या’ विषय-वस्तु के अनुकूल है, क्योंकि यह कविता काटे गए एक वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंतर्व्यथा को अभिव्यक्त करती है तथा समग्र मानव-जाति को यह संदेश देती है कि यदि वृक्ष की रक्षा नहीं की गई तो पर्यावरण असंतुलित होकर मानव- सभ्यता का नामोनिशान मिटा देगा। अतएव मनुष्य को अपनी संवेदना से काम लेने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि पेड़ हमारे प्राण के आधार हैं
प्रश्न 6. इस कविता में एक रूपक की रचना हुई है। रूपक क्या है और यहाँ उसका क्या स्वरूप है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-इस कविता में एक वृक्ष के माध्यम से रूपक की रचना हुई है। दरवाजे के सामने खड़ा वृक्ष पर एक चौकीदार का आरोप लगाया गया है। उपमेय के अंग सहित जब उपमान के अंग का आरोप होता है, तब रूपक होता है। यहाँ उपमेय वृक्ष पर उपमान चौकीदार का आरोप है। तात्पर्य कि जिस प्रकार चौकीदार दरवाजे पर सदा तैनात रहता है, उसी प्रकार वह वृक्ष भी तैनात रहता था। चौकीदार की वर्दी खाकी रंग की होती है तथा सिर पर पगड़ी होती है, उसी प्रकार छालविहीन उस पेड़ के तना का रंग खाकी है तथा पगड़ी के समान छत्तेदार फूल पत्ते हैं। अतः कवि ने एक चौकीदार के समान उस वृक्ष का स्वरूप बताकर मानवीकरण किया है तथा वृक्ष के महत्त्व को प्रतिपादित कर अपनी संवेदना का परिचय दिया है।