8. जित-जित मैं निखरत हूँ VVI SUBJECTIVE QUESTION | CLASS 10TH HINDI VVI SUBJECTIVE QUESTION

class 10th hindi

प्रश्न 1. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है?

उत्तर-बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में हुआ था, जबकि तीनों बहनों का जन्म रामपुर में हुआ था। इनके पिता कलाकार थे। ये रामपुर के दरबार में 22 साल बिताए थे


प्रश्न 2. रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमानजी को प्रसाद क्यों चढ़ाया?

उत्तर-रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमानजी को प्रसाद इसलिए चढ़ाया, क्योकि 22 साल तक उनके यहाँ नौकरी करते-करते मन ऊब चुका था। नवाब के दरबार में हर स्थिति में उपस्थित होना आवश्यक था। साथ ही, हलकारे (संदेशवाहक) के आने पर दिन हो या रात, जाना ही पड़ता था। बिरजू महाराज के पिता नित्य प्रार्थना करते थे कि नौकरी से छुट्टी मिल जाए। संयोग से एक दिन मुंशी ने उनकी ओर से अर्जी लिख दी और छुट्टी मिल गई। इसी खुशी में हनुमानजी को प्रसाद चढ़ाया।


3. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके सम्पर्क में आए?

उत्तर-नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज निर्मला जी के स्कूल हिन्दुस्तानी डांस म्यूजिक से जुड़े, जहाँ वे कपिलाजी, लीला कृपलानी आदि के संपर्क में आए। वहीं कपिलाजी एवं लीला जी की हायर ट्रेनिंग होती थी, तबले के वे बोल जिन पर नर्तक नाचता और ताल देता है, उन्हें कर लेते थे।




प्रश्न 4. किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला?

उत्तर–चाचा शम्भू महाराज तथा पिताजी के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार कलकत्ते में प्रथम पुरस्कार मिला था।


प्रश्न 5. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? उनका संक्षिप्त परिचय दें।

उत्तर-बिरजू महाराज के गुरु माता-पिता थे। वैसे स्वयं बिरजू महाराज ने अपने पिता का शिष्य होने की बात कही है—जैसे—“शागिर्द तो बाबूजी का हूँ।” इसका मुख्य कारण यह है कि बाबू जी जहाँ भी जाते थे, बिरजू महाराज को अपने साथ ले जाते थे। वे जहाँ खुद नाचते थे, वहाँ पहले पुत्र से नचवाते थे और तबला स्वयं बजाते थे। वे 22 साल रामपुर के नवाब के यहाँ, दो-ढाई साल रायगढ़ में, पटियाला में, निर्मला जी के स्कूल में, हिन्दुस्तानी डांस अकादमी आदि अनेक जगहों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी मृत्यु 54 साल की उम्र में लू लगने से हो गई।


प्रश्न 6. बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा किसे और कब देनी शुरू की?

उत्तर-बिरजू महाराज की उम्र दस-ग्यारह साल की थी, तब उन्होंने एक अमीर घर  का सीताराम बागला नामक लइका का नृत्य की शिक्षा देनी शुरू की। पिता की मृत्यु हो जाने कारण इनकी आर्थिक स्थिति अति दयनीय थी। इस समय महाराज जी हाई स्कूल


प्रश्न 7. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया ? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए।

उत्तर-बिरजू महाराज के जीवन में दुःखद समय तब आया, जब उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता के मरते ही खाने-पीने से लेकर पहनना-ओढ़ना के लाले पड़ गए। नाचा, शंभु महाराज जी का काम कर्जा लेकर खाना तथा पीना और दिन भर गाली देना था। उसी समय उनके दो बच्चों की मृत्यु भी हो गई थी। वे उनकी माँ को डाइन कहते तथा गालियाँ देते थे। तब महाराज जी माँ को लेकर नेपाल चले गए। फिर मुजफ्फरपुर आए। इसके बाद बाँसबरेली इसलिए गए कि वहाँ नाचूँगा तो इनाम मिलेगा। तात्पर्य यह कि उस समय हालत इतनी पतली थी कि पचास रुपये के लिए बेचैन रहते थे। कर्ज के बोझ से दबे हुए थे। फिर कानपुर चले गए। वहाँ 25-25 रुपये के दो ट्यूशन आर्यानगर में शुरू की। इस समय दस-ग्यारह साल की उम्र थी। विवशता के कारण तीन मील पैदल चलकर ट्यूशन पढ़ाने जाते थे। कोई सहयोग करने वाला नहीं था। इस प्रकार एक-एक पैसे के लिए मुँहताज था।


प्रश्न 8. शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-शंभू महाराज के साथ बिरजू का संबंध अच्छा नहीं था। यद्यपि शंभू महाराज उनके चाचा थे, लेकिन दोनों अलग-अलग रहते थे। पिताजी के समय से चूल्हा अलग था। उनका खाना-पीना अलग ढंग का था। दिन भर नशे में चूर रहते थे तथा मार-पीट करते रहते थे। उनकी राक्षस जैसी प्रवृत्ति थी। तात्पर्य यह कि बिरजू महाराज का अपने चाचा शंभू महाराज से संबंध अच्छा नहीं था।





प्रश्न 9. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर–कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। ऑल बंगाल म्यूजिक कांफ्रेंस में इनका नाच इतना उत्कृष्ट हुआ कि तमाम अखबारों में छप गया। लोगों को मेरी उत्कृष्टता के बारे में पता चला। यहीं से इनके जीवन में एक नया मोड़ आया। फिर क्या था, बंबई, कलकत्ता, मद्रास आदि जगहों से बुलावा आने लगा। इस सफलता से उत्साहित होकर स्वयं सुबह पाँच बजे से रियाज करने लगे। तात्पर्य यह कि संगीत भारती में इन्होंने तीन साल बिताया। इस दौरान इन्होंने. काफी रियाज तथा विभिन्न वाद्ययंत्रों का कठिन अभ्यास किया। अतः कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा ने बिरजू महाराज को नृत्य कला का सिरताज बना दिया।


प्रश्न 10. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी?

उत्तर-सांगीत भारती में रहते हुए बिरजू महाराज की दिनचर्या थी—सुबह पाँच बजे से पाँच, छः, सात, आठ बजे तक रियाज करना, फिर घर जाकर एक घंटे में तैयार होकर नौ बजे क्लास करने वापस होना। रात के अंधेरे में रियाज करने से थकान महसूस करने पर रिलेक्स होने के लिए सितार, गिटार, हारमोनियम तथा बाँसुरी बजाते थे। तबला शुरू से ही बजाने की आदत थी। संगीत भारती में बिरजू महाराज की ऐसी ही दिनचर्या थी

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