3. भारत से हम क्या सीखें VVI SUBJECTIVE QUESTION | CLASS 10TH HINDI VVI SUBJECTIVE QUESTION

class 10th hindi

प्रश्न 1. “सम्पूर्ण भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है।” लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर–सम्पूर्ण भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है, लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि यही वह देश है जहाँ सर्वप्रथम वेद की रचना हुई थी। यहीं पर हिमालय जैसा हिममंडित पर्वत है, गंगा जैसी पवित्र नदियाँ है तो फल-फूलों से लदे वन-प्रांत है। मानव-मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार इसी देश में हुआ। ‘प्लेटो’ तथा ‘काण्ट’ जैसे दार्शनिको का अध्ययन कंपनी के निदेशक मंडल की सेवा में इसलिए भेजवा दिया कि यह एक ऐसा उपहार होगा। जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में होगी। वह स्वयं को अपने एवं मनन का क्षेत्र भारत ही था। विश्व को मानवता की शिक्षा भारत से ही मिली। भारत- ही भूतल पर स्वर्ग जैसा सुन्दर, सर्वविद् सम्पन्न रहा है । लेखक के कहने का तात्पर्य : कि भारत ने ही विश्व को ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता-संस्कृति, धर्म-परंपरा आदि की शिक्षा दी।


प्रश्न 2. लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?

उत्तर-लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं, क्योंकि गाँवों में ही भारत की आत्मा निवास करती है, जहाँ कलकत्ता, बम्बई, मद्रास तथा अन्य शहरों जैसी बनावटी चमक-दमक नहीं मिलती, बल्कि वहाँ जीवन की सादगी, त्याग, प्रेम, उत्कृष्टतम पारस्परिक संबंध आदि देखने को मिलते है।




प्रश्न 3. भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों?

उत्तर भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता यूरोपियन लोगों के लिए वांछनीय है, क्योंकि भारत दो-तीन हजार वर्ष पूर्व जिन प्राचीन समस्याओं से प्रस्त था, आज का भारत भी ऐसी ही अनेक समस्याओं से ग्रस्त है जिनका समाधान उन्नीसवीं सदी के हम यूरोपियन लोगों के लिए उस भारत को पहचान करने की जरूरत है, ताकि उसका विकास तथा पोषण सही ढंग से किया जा सके।


प्रश्न 4. लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है?

उत्तर-लेखक ने वैसे लोगों के संबंध में कहा है जो भू-विज्ञान, वनस्पति-जगत, पुरातत्व, दैवत्व-विज्ञान, नीति-शास्त्र, धर्म आदि में रूचि रखते हैं, उनके लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक है, क्योंकि भू-वैज्ञानिकों के लिए हिमालय से श्रीलंका तक का विशाल भू- प्रदेश है तो वनस्पति-वैज्ञानिकों के लिए भारत एक ऐसी फुलवारी है जो हकर्स जैसे अनेक वनस्पति वैज्ञानिकों को अनायास ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। इसी प्रकार जिसकी अभिरूचि जीव-जन्तुओं के प्रति है, उन्हें भारतीय समुद्रतट पर हेकल की भाँति निवास करना होगा तथा पुरातत्व प्रेमी को जनरल कनिंघम की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट का अध्ययन करना होगा और बौद्ध समाटों द्वारा निर्मित (नालंदा जैसे) विश्वविद्यालयों अथवा विहारों के ध्वंसावशेषों को खोदना होगा, तभी भारत की विशेषताओं की सच्ची जानकारी मिल सकेगी। तात्पर्य यह कि भारत के विशेष क्षेत्रों की जानकारी रखने वालों को भारत में निवास करना होगा, तभी इन विशेष-क्षेत्रों की विशेषताओं का पता चलेगा।


प्रश्न 5. लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया और क्यों?

उत्तर-लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित उस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के संबंध में बताया है कि जब हेस्टिग्स भारत का गवर्नर जनरल था। उसे 172 दारिस नामक सेने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। उसने उन सिक्कों को अपने मालिक ईस्ट इण्डिया की दृष्टि में एक महान उदार व्यक्ति साबित करना चाहता था, किंतु कपनी के मालिक निदेशक उनका ऐतिहासिक महत्व नहीं समझने के कारण उन दुर्लभ प्राचीन मुद्दाको गला डाला। जब हेस्टिग्स इंग्लेड लोटा तो वे स्वर्ण मुद्राएँ नष्ट हो चुकी थी। इसीलिए लेखक ने हेस्टिग्स से संबंधित दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और इंगलैड वाले ऐसी ऐतिहासिक दुर्लभ वस्तुओं के महत्व को समझे।





प्रश्न 6. लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है?

उत्तर-लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में भारतीय अवदान के विषय में कहा है कि भारत ने ही विश्व को नीति कथाओं के माध्यम से नवजीवन का संचार किया। ये नीतिकथाएँ भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों एवं मार्गों द्वारा पूर्व से पश्चिम की ओर जाती रही है। लेखक का कहना है कि पाश्चात्य देशों ने बौद्ध धर्म को अपने यहाँ की कहावतों तथा दंत कथाओं का प्रमुख स्रोत माना है। ‘शेर की खाल में जैसी कहावत के संबंध में लेखक का तर्क यह है कि यह भी संस्कृत की एक कथा से सर्वाश मिलती-जुलती एक कहानी है। यह यूनान कैसे पहुंची तथा ईसा पूर्व चौथी सदी में स्ट्रटिस की कहानियों में कैसे स्थान पा गई, एक विचारणीय प्रश्न है। लेकिन ये सब कथाएँ पूर्व से ही आई है। लेखक की ऐसी मान्यता है।


प्रश्न 7. भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं?

उत्तर भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के बारे में लेखक का कहना है कि सोलोमन के समय में ही भारत तथा सीरिया और फिलीस्तीन के मध्य आवागमन के साधन सुलभ हो चुके थे। साथ ही, संस्कृत शब्दों के आधार पर लेखक इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि हाथी-दाँत, बन्दर, मोर और चन्दन आदि जिन वस्तुओं के निर्यात की बात बाइबल में कही गई है, वे भारत के सिवा किसी अन्य देश में उपलब्ध नहीं थी। ‘शाहनामा’ के रचनाकाल दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में भी भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध थे।


प्रश्न 8. भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है? स्पष्ट करें।

उत्तर भारत की ग्राम पंचायतों को लेखक ने स्थानीय स्व-शासन के अर्थ में लिया है। यह ऐसी प्रणाली है जिसमें ग्रामीण अपना शासन खुद करते हैं। इसमें किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होता। सारे गाँववासी अपनी समस्या के समाधान के लिए मिल- बैठकर निर्णय लेते हैं। ऐसी व्यवस्था उन व्यक्तियों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण है जो राजनीतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संबद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के महत्त्व तथा वैशिष्ठ्य को परोकने की क्षमता प्राप्त करना चाहते हैं।




प्रश्न 9. धर्मों की दृष्टि से भारत का क्या महत्त्व है?

उत्तर-लेखक को मान्यता है कि धर्मो की दृष्टि से भारत का विशेष महत्त्व है, यह ब्राह्मण अथवा वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की जन्म भूमि है, पारसियों जरथुष्ट धर्म की शरणस्थली है। तात्पर्य यह कि वेद-रचना के कारण वैदिक धर्म की गधा क्योंकि  स्थापना हुई तो भगवान बुद्ध का जन्म भारत में ही हुआ था। उनका सिद्धान्त बौदा के रूप में प्रचारित हुआ। पारसी धर्म के संस्थापक जरथुष्ट ने अपने धर्म के प्रचार के लिए इसे विशेष उपयुक्त माना था, इसलिए यह उस धर्म की शरण स्थली है।


प्रश्न 10. भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है ? पर करें?

उत्तर-भारत एक ऐसा देश है जो सर्वत्र अति प्राचीन और सुदूर के बीच खड़ा है। यह देश एक प्रयोगशाला है, जिसमें जीवन की हर समस्या के उपाय वर्णित है। यह समस्या चाहे शिक्षा की हो या संसद के प्रतिनिधित्व की, कानून बनाने की हो या अन्य कोई कानूनी समस्या । फिर सीखने-सिखाने संबंधी कोई बात विश्व के अन्य देशों में नहीं मिल सकती । भारत जैसे पुरातन देश में ही अतीत तथा सुदूर भविष्य की समस्याओं के बारे में सुअवसर प्राप्त हो सकते है।


प्रश्न 11. मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन-सी विशेषताएँ और महत्त्व बताएँ हैं?

उत्तर-मैक्समूलर ने संस्कृत की विशेषता तथा महत्त्व के बारे में कहा है कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है जिसमें व्यक्ति को चिन्तन की गंभीर धारा में अवगाहन से अज्ञात की जानकारी मिलती है। साथ-ही-साथ इससे मानव-हृदय की गहनतम सहानुभूति एवं सदाशयता की शिक्षा मिलती है


प्रश्न 12. लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों?

उत्तर-लेखकू के अनुसार वास्तविक इतिहास उसे ही माना जा सकता है जिसमें मानव-इतिहास से संबद्ध अत्यन्त बहुमूल्य तथा अत्यन्त उपादेय प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध हो। इसका मुख्य कारण है कि बीती हुई घटनाओं का उल्लेख इतिहास में ही वर्णित होता है। व्यक्ति इसी का अध्ययन कर भाषा, धर्म, दर्शन, रीति-रिवाज, कला- शिल्प, सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानता है तथा अच्छाई-बुराई से अवगत होता है। इस दृष्टि से संस्कृत ही सर्वातिशायी है।




प्रश्न 13. संस्कृत तथा दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या-क्या हुए?

उत्तर-संस्कृत तथा दूसरी भारतीय भाषाओं की विशेषता के संबंध में लेखक ने कहा है कि संस्कृत भाषा तथा इसका साहित्य तीन हजार वर्षों से भी अधिक लम्बे काल से विद्यमान है तथा यूनान तथा रोम के सम्पूर्ण साहित्य से कहीं अधिक विशाल है।

                                                    संस्कृत सारी भाषाओं की अग्रजा है। यह व्याकरणनिष्ठ है। संस्कृत, ग्रीक और लेटिन तीनों भाषाओं के मूल उद्गम स्रोत तक पहुँचने के हमें पीछे हटना होगा तथा हिन्दू, ग्रीक, यूनानी आदि जातियाँ एक-दूसरी से पृथक् हुई थी, उस सुदूर अतीत में आदि-आर्य भाषा चट्टान के रूप दिखाई देती है, जो चिन्तन-परम्परा के प्रवाहों के उतार-चढ़ाव से घिस- मजकर चिकनी और स्पष्ट हो चुकी थी। उस भाषा में प्रकृति और प्रत्यय के योग से बनी हुई अस्मि, ग्रीक एस्मि जैसी यौगिक क्रियाएँ मिलती हैं। लेकिन ‘मैं हूँ’ जैसे भाव को व्यक्त करने के लिए ‘अस्मि’ (मैं हूँ) क्रिया केवल आर्य भाषाओं में उपलब्ध हो सकती है। लेखक का मानना है कि संस्कृत सुनिश्चित तथा व्यापक ऐतिहासिक ज्ञान के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसकी खोज ने हमारी ऐतिहासिक चेतना में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इससे हमारे भूले-बिसरे बचपन की मधुर स्मृतियाँ साकार हो उठी हैं।

          अतः संस्कृत तथा दूसरी भाषाओं के अध्ययन ने मानव जाति के बारे में हमारे विचार को व्यापक और उदार बना दिया है। लाखों-करोड़ो अजनबियों तथा वर्वर समो जानेवाले लोगों को भी अपने परिवार के सदस्य की भांति गले लगाना भी सिखाया है। तात्पर्य यह कि इसने मानव-जाति के सम्पूर्ण इतिहास को वास्तविक रूप में प्रकट कर दिखाया है।


प्रश्न 14. लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को किसकी तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया और क्यों?

उत्तर-लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जोन्स की तरह सपने देखने के लिए प्रेरित इसलिए किया, ताकि आपमें से प्रत्येक को ठीक वैसा ही अनुभव हो सके जैसा कि सौ वर्ष पहले सर विलियम जोन्स को इंग्लैंड से आरंभ की हुई अपनी लंबी समुद्र-यात्रा को समाप्ति पर क्षितिज में प्रकट होते हुए भारत के तट के दर्शन से अनुभव हुआ था। उन्होंने उस समय जो सपना देखा था, उनके मन में जैसी सुनहरी कल्पना जगी थी तथा जैसा सुन्दर दृश्य देखा था आदि का वर्णन कर लेखक उन नवागंतुओं में ललक पैदा करना चाहता है। इसलिए विलियम जोन्स द्वारा वर्णित अनुभवा का जिक्र करते हुए लेखक कहता है— “एशिया के सुविस्तीर्ण क्षेत्रों से चारों ओर से घिरी ऐसी श्रेष्ठ रंगभूमि के मध्य अपने-आपको पाकर मुझे जिस आनन्द का अनुभव हुआ, वह
वस्तुतः अनिर्वचनीय है, क्योंकि यह भूमि नानाविध ज्ञान-विज्ञान की धात्री, ललित एवं उपयोगी कलाओं की जननी, शानदार कार्यकलापों की दृश्यभूमि, मानव-प्रतिभा के उत्पादन का उर्वर क्षेत्र, धर्म, भाषा, रीति-रिवाजो, लोगों के रंग-रूप और आकार-प्रकार आदि की दृष्टि से अपनी विविधता के कारण सदा से सम्माननीय रही है। अतः इसी विशेषता की ओर उनका ध्यान आकृष्ट करने के लिए तथा विलियम जोन्स जैसे स्वप्नदर्शी बनने की प्रेरण दी है, ताकि अपने सपनों को साकार और अपनी कल्पनाओ को वास्तविकता में परिणत कर सके।


प्रश्न 15. लेखक ने नया सिकन्दर किसे कहा है? ऐसा कहना क्या उचित है? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-लेखक ने नया सिकन्दर उस व्यक्ति को कहा है जो भारत के साहित्यिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, प्राकृतिक तथा गौरवपूर्ण ऐतिहासिक विरासत से अनजान है। लेखक का ऐसा कहना सर्वथा सत्य है, क्योंकि विश्व में भारत की अपनी खास विशेषता आदि काल से रही है। यहीं से विश्व को ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता-संस्कृति, कला-शिल्प आदि का प्रकाश मिला। अतः लेखक के कहने का अभिप्राय यह है कि मानवता का वास्तविक ज्ञान जितना भारतवासियों को है, वैसा ज्ञान विश्व के अन्य देशो को नहीं है। इसलिए नए सिकन्दर को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि गंगा और सिन्धु के के पुराने मैदानों में अभी भी वही उर्वरा शक्ति है जो पहले थी।




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *