उर्जा के स्रोत | science vvi subjective question 2021 | class 10th science important question 2021

10th Science Question

प्रश्न 1. ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं ?

उत्तर-ऊजा का उत्तम स्रोत उसे कहते हैं जिसमें निम्न विशेषताएँ हों-

(I)  वह उचित मात्रा में आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके।

(ii) इसे प्रयोग करना आसान होना चाहिए ।

(iii) इसका परिवहन करना आसान होना चाहिए।

(iv) इसका भंडारण आसान होना चाहिए।

(v) यह लंबे समय तक हमें नियमित रूप से आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके।


प्रश्न 2. जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए।

उत्तर-जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के दो कारण हैं-

गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआँ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदुषित नहीं होती।


 प्रश्न 3. अच्छा ईधन क्या है? 

उत्तर-अच्छा इंधन वह है-

(i) जिसका ऊष्मीय मान उच्च हो ।

(ii) जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो।

(iii) जिससे प्रज्जवलन ताप की प्राप्ति हो।

(iv) जलने में अल्प धुआँ और अधिक ऊष्मा उत्लन्न करता हो ।


प्रश्न 4. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?

उत्तर-भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तपे हुए स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती है और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत जनित्रों के द्वारा विद्युत उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।


प्रश्न 5. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है ?

उत्तर-नाभिकीय ऊर्जा भारी नाभिकीय परमाणु (यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अत: नाभिकीय विखंडन से अपार ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अनेक विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।


प्रश्न 6. सूर्य ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत क्यों माना जाता है ?

उत्तर-सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर हवा चलती है तथा जल चक्र चलता है। पेड़-पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करते हैं। इसी भोजन पर ही समस्त मानव जाति तथा जंतुओं का जीवन निर्भर करता है। अन्य ऊर्जाओं का मूल स्रोत भी सूर्य ही है। यदि सूर्य न होता तो किसी प्रकार की ऊर्जा भी न होती । यह कहना पूर्ण रूप से सही है कि ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत सूर्य है।


प्रश्न 7. प्राकृतिक गैस क्या है ? इसका प्रमुख लाभ क्या है ? भारत में यह कहाँ-कहाँ पर पाई जाती है?

उत्तर-प्राकृतिक गैस मुख्य रूप से मिथेन (CH4 ) होती है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि इसे घर तथा उद्योगों में सीधा जलाने के लिए उपयोग किया जाता है । भारत में त्रिपुरा, जैसलमोर तथा मुम्बई के अपतट आदि स्थानों पर इसके भंडार हैं। कृष्णा तथा गोदावरी के डेल्टा में भी इसकी उपस्थिति का पता चला है


प्रश्न 8. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।

उत्तर-ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।

                                                                               ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन की कैलोरीमान अधिक हो । उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो। स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।


प्रश्न 9. ईंधन किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए।

उत्तर-जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, उन्हें ईंधन कहते हैं। इंधन ठोस, तरल तथा गैस तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला, लकड़ी, कोक तथा चारकोल ठोस ईंधन हैं; पेट्रोल, डीजल तथा किरोसीन तरल ईंधन हैं तथा प्राकृतिक गैस और बायोगैस आदि गैस ईंधन हैं।


 प्रश्न 10. जीवाश्म ईंधन किस प्रकार बने थे?

उत्तर- जीवाश्म ईंधन उन पेड़-पौधों के अवशेषों तथा जंतु अवशेषों से बने हैं जो करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह के नीचे गहरे दबे हुए थे। पृथ्वी के अन्दर दबकर तलछट से ढंक जाने के कारण इन जीव-अवशेषों को वायु की ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाती थी। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति तथा दाब, ताप और बैक्टीरिया के मिले-जुले प्रभाव से पेड़-पौधों तथा जंतुओं के दबे हुए अवशेष, कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों में परिवर्तित हो गये।


प्रश्न 11. पवन ऊर्जा क्या है? पवन चक्की से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?

उत्तर-पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक पर्यावरणीय हितैषी एवं दक्ष स्रोत है। इसमें टरबाईन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल कम से कम 15 किमी/घं. से अधिक होना चाहिए।


प्रश्न 12. पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है ?

उत्तर-पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं। पवन का चलना-ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती । इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भूमध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है। वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।


प्रश्न 13. OTEC क्या है ? इसका पूरा नाम लिखें तथा बताएँ इसका उपयोग कहाँ किया जाता है ?

उत्तर-OTEC सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण के लिए एक संयंत्र है। इसका पूरा नाम Ocean Thermal Energy Conversion Plant है। इस यंत्र का उपयोग महासागरीय तापीय उर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में कर जनित्र के टरबाइन को चलाने में किया जाता है। इस संयंत्र को तब प्रचालित किया जा सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 किमी तक की गहराई पर जल के ताप में 20 सेल्सियस का अंतर हो।


प्रश्न 14. ऊर्जा संकट क्या है? इसके समाधान का उल्लेख करें। 

उत्तर-ऊर्जा के प्रमुख स्रोत जीवाश्म ईंधन अर्थात कोयला एवं पेट्रोलियम हैं। पृथ्वी के अंदर इनकी मात्रा भी सीमित है। उद्योगीकरण एवं जनसंख्या वृद्धि के कारण इनकी माँग भी कई गुना तेजी से बढ़ी है। हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उनका निर्ममतापूर्वक दोहन कर रहे हैं। ऊर्जा के इन स्रोतों का उपयोग हम अपनी दैनिक ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति तथा जीवनोपयोगी पदार्थों के उत्पादन हेतु कर रहे हैं। चूँकि इनके श्रृंडार सीमित है, अतः इनके एक बार समाप्त हो जाने पर निकट भविष्य में इनकी पूर्ति संभव नहीं होगी। इसका कारण है कि इनके निर्माण में लाखों वर्षों का समय लगता है। इस प्रकार देश में ऊर्जा की कमी हो जाएगी जिससे विकास अवरुद्ध हो जाएगा। अतः, देश को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा।

                                              ऊर्जा के महत्त्व को ध्यान में रखकर ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है ताकि आनेवाले अधिक-से-अधिक समय तक हम इनका उपयोग कर सके। ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों की उपलब्धता सीमित होने के कारण इसके वैकल्पिक स्रोतों की खोज करने की आवश्यकता भी महसूस की जाती है। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत हैं-सौर ऊर्जा (solar energy), पवन ऊर्जा (wind energy) तथा जैव स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा अर्थात बायोगैस आदि। ऊर्जा के इन स्रोतों के विकास से अनेक कार्यों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। आजकल परमाणु ऊर्जा की चर्चा जोरों पर है। इसके उत्पादन की क्षमता विकसित करके भी हम देश को ऊर्जा संकट से काफी हद तक उबार
सकते हैं।

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