class 10th sanskrit chepter 14 संस्कृतसाहित्ये लेखिका: || class 10th sanskrit vvi subjective question

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1. इस पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है?

उत्तर- इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक अधिकारी, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं पल्लवन में पुरुषों के समतुल्य महिलाएं भी चलती रही है।


12. विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की क्या स्थिति थी? तीन वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर- विजयनगर में सम्राट संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास सर्वविदित है। उनके अन्तःपुर में भी संस्कृत रचना में निष्णात रानियाँ थीं। महारानी विजयभट्टारिका ने ‘विजयात्रा’ की रचना की।


3. शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में वैदिककालीन महिलाओं के योगदानों की चर्चा करें।

उत्तर- वैदिककाल में शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में पुरुषों की तरह महिलाओं ने भी काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी वैदिककालीन ऋषिकाएँ भी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं।


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4. संस्कृतसाहित्य में दक्षिण भारतीय महिलाओं के योगदानों का वर्णन करें।

उत्तर- चालुक्य वंश की महारानी विजयभट्टारिका ने विजयात्रा की रचना कर लौकिक संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लगभग चालीस दक्षिण भारतीय महिलाओं ने एक सौ पचास संस्कृत-काव्यों की रचना की है। इन महिलाओं में गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा आदि प्रमुख हैं। इनकी रचनाएँ पद्य में हैं।


5. संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें।

उत्तर-संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमानकाल में लेखनरत कवत्रियों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन संस्कृतसाहित्य को समृद्ध कर रही हैं।


6. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं?

उत्तर- ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया ।


7. संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर- वैदिक काल से महिलाओं ने संस्कृत साहित्य की रचना एवं संरक्षण में काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं। गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका आदि दक्षिण की महिलाओं ने भी साहित्य की रचना में योगदान दिया है। पंडिता क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला मवालकर आदि जैसी अनेक आधुनिक महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है। इस प्रकार, भारत में हमेशा संस्कृत साहित्य में महिलाओं का योगदान रहा है।


8. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ के आधार पर लेखक के संदेश को स्पष्ट करें।

उत्तर-संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ में लेखक का स्पष्ट संदेश है कि महिला और पुरुष दोनों के योगदान से ही समाज की गाड़ी चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की चर्चा है, जिन्होंने साहित्यरूपी खजाने को भरने में अपना योगदान दिया है।


9. संस्कृतसाहित्य में विजयनगर राज्य के योगदानों का वर्णन करें।

उत्तर- विजयनगर राज्य के राजाओं ने संस्कृतसाहित्य के संरक्षण के लिए जो प्रयास किए थे वे सर्वविदित हैं। उनके अंत:पुर में भी संस्कृत-रचना में कुशल रानियाँ हुई। इनमें कम्पणराय की रानी गंगादेवी तथा अच्युतराय की रानी तिरुमलाम्बा प्रसिद्ध हैं। इन दोनों रानियों की रचनाओं में समस्त पदावली और ललित पद्ध-विन्यास के कारण संस्कृत-गद्य शोभित होता है।


10. संस्कृतसाहित्ये लेखिका: पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने भी वैदिक युग से आज तक इसमें भाग लिया है । यमी, अपाला, उर्वशी आदि ऋषिकाएँ थीं। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेख किया गया है। इस पाठ में अनेक लेकिखकाओं का वर्णन है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है।


11. ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर- सर्वशुक्ला सरस्वती, विजयाङ्का को कहा गया है। लौकिक संस्कृत में विजयात्रा की भूमिका सराहनीय है। उसके पदों की सौष्ठवता देखने में बनती है। एक असाधारण लेखिका की पराकाष्ठा से प्रभावित होकर ही दण्डी ने उसे सर्वशुक्ला सरस्वती कहा है । विजयाङ्का श्याम वर्ण की थी किन्तु उसकी कृत्तियाँ ज्योतिर्मय थीं। नीलकमल की पंखुड़ियों की तरह विजयात्रा अपनी रचना में अद्भुत लेखन कला की आभा बिखेरती है।

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