Hindi vvi subjective question class 10th
1. लेखक ने नया सिकंदर किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर – लेखक ने सर विलियम जोन्स की तुलना सिकंदर से करते हुए उसे नया सिकंदर नाम दिया है | भाव एवं कार्य की दृष्टि से ऐसा कहना कोई अनुचित नही कहा जा सकता है क्योकि लेखक की दृष्टि में जोन्स का कार्य भी साहसपूर्ण था | अपनर प्रियजन्म भूमि और प्रियजनों से विलग होकर वह नए देश के दर्शन के लिय यात्रा पर निकला था | अनेक सगरो को पारकर वह भारत दर्शन करने के लिय यात्रा कर रहा था | सागर की लहरे ,सूर्य का सागर में डूबना आदि दृश्य उसे उत्साहित तो कर ही रहा था ,वह अपने सपनो को भी साकार रुप्सेने के लिए लालायित था |
2.नाख़ून बढ़ने का प्रश्न लेखक के सामने कैसे उपस्थित हुआ ?
उत्तर – नाख़ून क्यों बढ़ते है ? यह प्रश्न लेखक के आगे उनकी लड़की के माध्यम से उपस्थित हुआ | ऐसा ऐसा प्रश्न लेखक को सोचने को मजबूर कर दिया की सचमुच नाख़ून बार-बार कटने के बावजूद भी क्यों इस प्रकार बाधा करते है |
3.बहादुर ने लेखक का घर क्यों छोड़ दिया ?
उत्तर – दिन-रात लेखक के पुत्र द्वारा पिटाई ,मालिकिन का झिडकना एवं थप्पड़ लगाना और अंततः चोरी के झूठे आरोप के कारण बहादुर ने लेखक का घर एक दिन छोड़ दिया |
4. कवि अपने आंसुओ को कहा पहुचना चाहता है ?
उत्तर – कवि अपने आंसुओ को उस सज्जन के आँगन में पहुचाना चाहता है जहा प्रेम की वर्षा होती है | प्रेम की वर्षा अपने लिय नही औरो के लिय होती है
5.निम्न्लिखित पंक्तियो का भावार्थ लिखे :-
भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है श्यामल
धुल भरा मैला सा आँचल
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति कवि सुमित्रानंदन पन्त द्वारा रचित कविता ‘भारतमाता’ से उधृत है | ये कविता की सुरुआती पंक्ति है | गावो में बसने वाली भारतमाता आज धुल धुर्सित शस्य श्यामल रहकर उदासीन बन गई है | उनका आँचल मैला हो गया है | गंगा यमुना के निर्मल जल प्रदूषित हो गए है | इसके मिटटी में पहले वाली प्रतिभा और यश नही है | वह अपने दिन दशा पर उदासीन और मलीन है
6.सेन साहब काशु को विद्यालय पढने ले लिय क्यों नही भेजते है ?
उत्तर – काशु सेन साहब का इकलौता बेटा है | वह शरारती और गैर जिमेद्वर है | उसकी शिक्षा – दीक्षा किसी अच्छे स्कूल में न होकर कारखाने के बढई मिस्त्री के के साथ लोहा पीटने ठोकने आदि से सम्बंधित कार्य सिखाया जाता है |
7. ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता विश्व के किस समस्या को उजागर करती है ?
उत्तर – प्रस्तुत कविता में बदलते हुए परिवेश में दैनिक अवश्यक्ताओ की पूर्ति हेतु जिस तरह प्रकृति का दोहन हो रहा है उसे लगता है की सारी दुनिया प्रकृति का स्वतः शिकार हो जायगी वृक्षों की अनाधुन कटाई बढती हुई जनसँख्या समुन्द्र के जल स्तर का उठना ये सब विनाश का सूचक है | वृक्ष हमारे मित्र है फिर भी हम इसे निष्ठुरता से काटते जा रहे है आज मानव के पास आँख होते हुए भी अँधा होते गया है कवि इस समस्या से काफी चिंतित है | उसे लगता है की दुनिया जल्द ही समाप्त हो जायगी | वृक्ष को काटना अपने आप को मृत्यु के मुह में डालना है ठंडी छाव देने वाला वृक्ष मनुष्य के निष्ठुरता के कारण काटे जा रहे है | अंत: में कवि कहना चाहता है की यदि समय रहते हुए इस समस्या से निजत पाने के लिय कोई ठोस कदम नही उठाया गया तो जिव जगत स्वतः समाप्त हो जायगा |