प्रश्न 1. कवि प्रेममार्ग को ‘अति सुधो’ क्यों कहता है? इस मार्ग की विशेषता क्या है?
उत्तर-कवि प्रेममार्ग को ‘अति सुधो’ इसलिए कहता है, क्योंकि यह मार्ग अति सहज, सरल तथा सुगम होता है। इसमें टेढ़ापन तथा धूर्तता लेश मात्र नहीं होते। हृदय की उपज होने के कारण यह भाव प्रधान होता है। सच्चा प्रेम अनन्त की ओर ले जाता है। तात्पर्य यह कि प्रेम का मार्ग छल-कपट, धोखा, दंभ आदि से रहित होने के कारण संदेहरहित होता है। यही विशेषता इस मार्ग पर चलने वालों को अलौकिक सुख का बोध कराती है। अतः इसमें पूर्ण समर्पण का भाव निहित होता है। इस कारण यह मार्ग अति सहज, निष्कंटक एवं निर्विकार प्रतीत होता है।
प्रश्न 2. ‘मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-‘मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं’ से कवि का अभिप्राय है कि प्रेमी सच्चे दिल से अपना तन-मन प्रेमिका का प्रेम पाने के लिए अर्पित कर देता है, किंतु प्रेमिका उस प्रेम के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्ति नहीं करती है। अतः वह अपनी मुस्कुराहट से प्रेमी के व्यथित हृदय को शांति भी प्रदान नहीं करती है। तात्पर्य यह कि प्रेमिका अति निष्ठुर या कठोर दिल है। वह प्रेमी की पीड़ा पर जरा भी ध्यान नहीं देती है। तात्पर्य यह कि भक्ति में सहज प्रेम की अभिव्यक्ति होती है, जबकि ज्ञान में दंभ का प्रभाव होता है जिस कारण ज्ञान प्रेम रस की मधुराई का रस लेता तो है किन्तु ज्ञानांधतावश प्रेम की पीड़ा आहत नहीं होती। निष्कर्षतः कवि ने वियोग में सच्चा प्रेमी जो वेदना सहता है, उसके चित्त में विभिन्न प्रकार की तरंगें उठती हैं, उसी का उसने मार्मिक चित्रण किया है।
प्रश्न 3. परहित के लिए ही देह कौन धारण करता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—परोपकारी दूसरों के उपकार के लिए देह धारण करते हैं और वे दूसरों के लिए ही जीते भी हैं। उनका कोई स्वार्थ नहीं होता। कवि ने परोपकारी की तुलना बादल से करते हुए, यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जैसे बादल जल धारण कर संसार का ताप मिटाता है। वह इस जल देने के बदले किसी से कुछ लेता नहीं है, बल्कि अपने आचरण से संसार को संदेश देता है कि यह मानव शरीर अति कठिनाई से मिलता है, इसलिए मानव को बादल के समान अपने करुण-रस से सूखे कंठ को रसमय बनाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता। सज्जन इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित होते हैं। वृक्ष अपना फल स्वयं नहीं खाते, नदी अपना जल स्वयं नहीं पीती, वैसे ही परोपकारी व्यक्ति दूसरों की भलाई के.लिए शरीर धारण करते हैं और संदेश दे जाते हैं कि परोपकारी व्यक्ति का ही जन्म लेना सार्थक होता है। जो परोपकार नहीं करते, उनका जन्म लेना बेकार है।
प्रश्न 4. कवि कहाँ अपने आँसुओं को पहुँचाना चाहता है और क्यों ?
उत्तर–कवि अपने आँसुओं को प्रेमिका के आँगन में पहुँचाना चाहता है, क्योंकि इन आँसुओं के माध्यम से कवि अपनी पीड़ा को सुजान के समक्ष प्रस्तुत करना चाहता है ताकि प्रेमी की व्यथा जानकर वह द्रवित हो सके। अतः कवि अन्योक्ति के माध्यम से विरह- वेदना से भरे अपने हृदय की पीड़ा को अपनी प्रेमिका के समक्ष व्यक्त करना चाहता कवि को विश्वास है कि उसकी प्रेम-वेदना से जब उसकी प्रेमिका अवगत होगी तब उसे प्रेम की सच्चाई का बोध होगा। अतः कवि अपने-आपको बादल मानकर यह सिद्ध करना चाहता है कि जिस प्रका बादल अपना जल बरसाकर संसार में नव-जीवन का संचार करता है, उसी प्रकार कवि अपने आँसुओं का जल बरसाकर प्रेमिका के उद्दीप्त करना चाहता है।