6. बहादुर VVI SUBJECTIVE QUESTION | CLASS 10TH HINDI VVI SUBJECTIVE QUESTION

class 10th hindi

प्रश्न 1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो?

उत्तर-लेखक ने एक नौकर रख लिया है। अब उसे नौकर का भी भरण-पोषण करना होगा। साथ ही वेतन भी देना होगा। इसी कारण लेखक को लगता है जैसे उस पर भारी दायित्व आ गया हो।


प्रश्न 2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।

उत्तर-बहादुर सामने खड़ा आँखों को बुरी तरह मलका रहा था। वह बारह-तेरह वर्ष का था। उसका मुँह चपटा, रंग गोरा तथा कद नाटा, था। वह आधे बाँह की कमीज तथा सफेद रंग का पैट तथा भूरे रंग का जूता पहने हुए था। गले में रूमाल बाँधने के कारण वह स्काउटों जैसा प्रतीत होता था। लेखक के परिवार के लोग उसे ऐसे घेरे हुए थे, जैसे वह कोई अजनबी चीज हो।




प्रश्न 3. लेखैक को क्यों लगता है कि नौकर रखना जरूरी हो गया था?

उत्तर-लेखक को नौकर रखना इसलिए जरूरी हो गया था, क्योंकि उनके भाई तथा रिश्तेदार अच्छे ओहदों पर थे और सभी के यहाँ नौकर थे। लेखक जब बहन की शादी के अवसर पर घर जाता है और नौकरों का सुख अनुभव करता है तो वह भी नौकर रखने का निश्चय करता है। साथ ही, भाभियों की मौज-मस्ती तथा पत्नी की परेशानी देखकर उनका हृदय ईर्ष्याग्नि से जल उठता है। इतना ही नहीं, पत्नी की जली-कटी बातें भी उन्हें नौकर रखने के लिए दबाव डालने लगी। इन्हीं सब कारणों से लेखक को नौकर रखना आवश्यक हो गया था।


प्रश्न 4. साले साहब से लेखक को कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा?

उत्तर-लेखक को साले साहब से लाए हुए नौकर अर्थात् बहादुर के बारे में असाधारण किस्सा सुनना पड़ा कि बहादुर एक नेपाली है, उसका घर बिहार तथा नेपाल की सीमा पर है। इसका बाप युद्ध में मारा गया। उसकी गुस्सैल माँ ही परिवार का भरण- पोषण करती है। माँ की इच्छा थी कि लड़का घर के काम-काज में हाथ बटाए परन्तु ऐसा न करने के कारण माँ मार-पीट करती थी। तात्पर्य यह कि यह माँ की बातों पर ध्यान न देकर खेलने-कूदने में समय बर्बाद करता था। इतना ही नहीं, एक दिन उसने उस भैंस को बहुत मारा, जिसको माँ बहुत चाहती थी। भैंस की मार का अनुमान करके माँ ने उसे बेरहमी से पीट दिया, जिस कारण बहादुर का मन माँ से फट गया और वह घर छोड़कर भाग चला।


प्रश्न 5, बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था?

उत्तर-बहादुर के अपने घर से भागने का मुख्य कारण यह था कि वह वही काम करता था, जो माँ की इच्छा के प्रतिकूल होता था। माँ जिस भैस को बहुत प्यार करती थी, उस भैस से उसे सख्त घृणा थी। एक दिन उसने उस भैस को बहुत मारा था। मार खाकर भेस खेत में काम कर रही उसकी माँ के पास पहुंच गई। भेस चरना छोड़कर उसके पास जैसे ही आई,वह समझ गई कि लड़का ने उसे अवश्य मारा है, इसलिए वह क्रोधित हो गई और लड़के की बेरहमी से पिटाई कर दी। माँ की मार से दुखी होकर दो रुपये निकालकर नौ-दो-ग्यारह हो गया। उसने घर से भागने का निश्चय कर लिया तथा घी की हंडी में रखे माँ के रुपयों में से





प्रश्न 6. बहादुर के नाम से ‘दिल’ शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? 

उत्तर-लेखक ने जब बहादुर का नाम पूछा तो उसने कहा दिलबहादुर, साहब। उसके स्वर में ऐसी मीठी झनझनाहट थी कि लेखक प्रसन्न होकर आदर्श जीवन जीने की शिक्षा देने लगे तथा उनके यहाँ नौकर के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, उस संबंध में भी जानकारी दी। उसको समझाया गया कि वह घर को अपना घर मानकर सबके साथ शिष्ट व्यवहार करे तथा मुहल्ले वालों की बातों पर ध्यान न दे। लेखक की पत्नी निर्मला ने उसके नाम से ‘दिल’ शब्द हटाकर उसका दिल जीतने तथा अपना प्रभाव डालने के लिए उदारतापूर्वक दिल’ उड़ा दिया।


प्रश्न 7.व्याख्या करें:

(क) पर अव बहादुर से भूल-गलतियाँ अधिक होने लगी थीं। 

उत्तर-प्रस्तुत पंक्ति महान् कथाकार अमरकान्त द्वारा लिखित कहानी ‘बहादुर’ शीर्षक पाठ से उद्धत है। इसमें लेखक ने बहादुर से होनेवाली भूल एवं गलतियाँ होने के कारणों पर अपना विचार प्रकट किया है।

       लेखक का मानना है कि बहादुर स्वाभिमानी लड़का है। वह उनके पुत्र एवं पत्नी के अभद्र व्यवहार से क्षुब्ध रहने लगा है, उसकी छोटी-सी भूल पर भी उनका पुत्र किशोर मारने के साथ-साथ सूअर का बच्चा’ तक कह देता है, जिस कारण वह किशोर का काम करना बन्द कर देता है। निर्मला भी अब उसकी उपेक्षा करने लगी है। वह किसी के कहने पर उसका खाना बन्द कर देती है तथा उसे स्वयं रोटी बनाने को कहती है। वह रात भर भूखा रह जाता है लेकिन रोटी नहीं बनाता । फलतः उसे डाँट-फटकार सुननी पड़ती है। इतना ही नहीं, उसको मारनेवाले घर में दो व्यक्ति हो गए। इन सब कारणों से बहादुर का मन खिन रहने लगा है और अक्सर उससे भूल होने लगी है। लेखक के कहने का तात्पर्य है कि जब किसी व्यक्ति से भेदभाव किया जाता है अथवा उसे हीन भाव से देखा जाता है तो उस व्यक्ति का प्रेम घृणा में बदल जाता है। इस घृणा के कारण कोई भी कार उदासीन भाव से करता है, जिस कारण भूल-गलतियाँ होती हैं। बहादुर गाली-गलौज ३ कारण ही गलती करता है।



(ख) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता।

उत्तर-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी कथा-साहित्य के महान् कथाकार अमरकान्त द्वारा लिखित कहानी ‘बहादुर’ शीर्षक पाठ से उद्भुत है। इसमें कथाकार ने आत्मीयता के साथ अपनी सेवा देने वाले नौकर बहादुर के त्याग पर अपनी अन्तर्व्यथा प्रकट की है। लेखक जब शाम में कार्यालय से घर लौटा तो पत्नी एवं पुत्र किशोर को अपनी गलतियों पर अफसोस प्रकट करते हुए देखा। लेखक को अपनी पत्नी की उस बात पर कि अतिथि ने अपनी गलती तथा लाज छिपाने के लिए ऐसा प्रपंच रचा था। बहादुर निर्दोष था। उसने रुपये नहीं चुराए थे। लेखक इस बात से आहत होता है तथा उसे अपनी गलती महसूस होती है। लेखक इससे भी अधिक तब दुःखी होता है जब वह जानता है कि वह खाली हाथ गया है। उसके सारे सामान यहीं है। लेखक उसकी सेवा एवं त्याग पर अनुभव करता है कि स्वाभिमानी व्यक्ति पैसा नहीं, प्रेम का भूखा होता है। वह आन्तरिक व्यथा प्रकट करते हुए कहता है “अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता संतोष हो जाता है। लेखक ने ऐसा कहकर बहादुर के प्रति कृतज्ञता तथा अपनी लघुता या आत्मग्लानि का भाव प्रकट किया है।

(ग) यदि मैं न मारता तो शायद वह न जाता।

उत्तर- ‘बहादुर’ शीर्षक पाठ से उद्धृत प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कहानीकार अमरकांत ने बहादुर के जाने के कारण के विषय में अपना विचार प्रकट किया है।

                                                        लेखक का कहना है कि इतने दिनो तक बहादुर को विश्वास था कि घर का मुखिया अर्थात् लेखक उसका रक्षक है। निर्मला एवं किशोर के व्यवहार में ही अन्तर आया है किंतु जब लेखक भी मारता है तब उसकी आत्मा कराह उठती है। उसका स्वाभिमान उसे अपमान न सहने के लिए ललकारने लगता है। उसके इस दुर्व्यवहार से उसका दिल टूट जाता है क्योंकि वह प्रेम का भूखा है। माँ से भी प्रेम नहीं मिला, जिस करण घर का त्याग किया था। लेखक के परिवार में जब तक उसके साथ सद्व्यवहार होता रहा, वह आत्मीयता से काम करता रहा। लेकिन लेखक की पत्नी एवं पुत्र के दुर्व्यवहार ने उसके निश्छल प्रेम एवं सेवाभाव को विखंडित कर दिया। बहादुर ने क्रूरता की इस काली कोठरी से निकलना ही बेहतर समझा और हृदय में एक कसकती अन्तर्व्यथा देकर चल दिया। बहादुर के इस महान् त्याग पर लेखक को अपने-आपमें एक अजीब-सी लघुता का अनुभव होने लगा।


प्रश्न 8. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा?

उत्तर—बहादुर के आने से घर में अजीब परिवर्तन हो गया। दिन मजे से कटो लगा। लेखक अपने को बहुत ऊँचा तथा मुहल्ले के लोगों को तुच्छ मानने लगा। किसी से सीधे मुँह बात करना छोड़ दिया। पड़ोसियों को यह कहकर लज्जित करने लगा कि आजकल वही नौकर रख सकता है जिसके पास कलेजा होता है। लेखक की पत्नी निर्मला भी शान बघारने लगी थी कि इज्जत नहीं तो धन-दौलत कमाना व्यर्थ है। तात्पर्य यह कि बहादुर के आते ही सभी आराम से दिन बिताने लगे। घर-कपड़े चमाचम दिखने लगे। अब घर का सारा काम बहादुर के माध्यम से होने लगा। एक ग्लास पानी लाने की बात हो या कोई वस्तु संभालकर रखने की अथवा जूते साफ करने की, सब बहादुर के माध्यम से होता। पुत्र किशोर का रूतबा भी बढ़ गया। तात्पर्य कि सभी आराम फरमाने के शौकीन यानी पराश्रयी हो गए।


प्रश्न 9. किन कारणों से बहादुर ने एकदिन लेखक का घर छोड़ दिया?

उत्तर—बहादुर स्वाभिमानी, कर्मठ, प्यार का भूखा तथा स्वच्छंद विचार का व्यक्ति था। उसने माँ की पिटाई के कारण ही घर का त्याग किया था। लेखक के घर आने पर आरंभ में उसे घर के सदस्य की तरह समझा जाता था, किंतु कुछ दिनों के बाद पहले लेखक के पुत्र किशोर का कोपभाजन बना, फिर निर्मला के भेदभावपूर्ण व्यवहार ने उसकी आत्मीयता की दीवार को ढाह दिया। इसके बाद बचा-खुचा उसका प्रेम तब खत्म हो गया, जब अतिथि की झूठी बातों पर विश्वास करके लेखक ने उसे तमाचा जमा दिया। इन्हीं सब कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया।




प्रश्न 10. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप क्या असर पड़ता है?

उत्तर -बहादुर पर ही चोरी का आरोप इसलिए लगाया जाता है, क्योंकि वह नौकर है। ऐसी मान्यता है कि नौकर चोर होते हैं। इसका कारण यह है कि वे गरीबी अथवा आर्थिक विवशता के कारण अधिक-से-अधिक पैसा संचय करना चाहते हैं । इसलिए चोरी करने से परहेज नहीं करते । बहादुर पर इस चोरी के आरोप का बुरा प्रभाव पड़ा। चोरी की बात लेखक के पूछने पर उसका मुँह काला हो जाता है। उसका अन्तर इस आरोप के कारण कराह उठता है।


प्रश्न 11. घर आए रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला?

उत्तर-घर आए रिश्तेदारों ने ग्यारह रुपये चोरी होने का प्रपंच रचा। रिश्तेदार की पत्नी ने कहा कि ग्यारह रुपये लूँट से खोल कर चारपाई पर इसलिए रखा था कि चार रुपये की मिठाई मँगा लूँगी और कुछ रुपये बच्चों के हाथ पर रख दूँगी, क्योंकि किसी के यहाँ खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगता। इस आरोप का यह परिणाम निकला कि बहादुर को छोड़कर जाना पड़ा और लेखक के परिवार की सारी शान और रोब-दाव





प्रश्न 12. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गए बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है ? चित्र का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर-काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गए बहादुर को लेखक ने बड़ा स्वाभाविक वर्णन किया है। वह भीतर के बरामदे पर एक टूटी हुई बाँस की खाट पर अपना बिस्तर बिछाता था। बिस्तर पर बैठने के बाद जेब से निकालकर नेपाली टोपी पहन लेता था तथा बन्दर की तरह आइना में मुँह देखता था। इसके बाद ताश, खूबसूरत पत्थर के टुकड़े, ब्लेड, कागज की नाव आदि से खेलता था। फिर धीमे स्वर मे

                                    गुनगुनाने लगता था। लेखक उसके गीत का अर्थ तो नहीं समझता था, किन्तु उसके स्वर में एक ऐसी मीठी उदासी थी, जिससे प्रतीत होता था कि जैसे कोई पहाड़ की
निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा हो। अतः लेखक के कहने का भाव है कि बहादुर इस गीत के माध्यम से अपने बिछुड़ेपन की व्यथा प्रकट कर

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