मंदाकिनीवर्णनम् | class 10th sanskrit vvi subjective question | class 10th sanskrit subjective question मंदाकिनीवर्णनम्

class 10th sanskrit

1. सत्य का मुँह किस पात्र से ढंका है?

उत्तर-सत्य का मुँह स्वर्णमय पात्र से. ढंका हुआ है।


2. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती है?

उत्तर-नदियाँ नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिलती है।


3. स्त्रियों की विशेष रक्षा क्यों करनी चाहिए?

उत्तर – स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी है ये पूजनीया तथा महाभाग्यशाली है। ये पुण्यमयी और घर को प्रकाशित करने वाली कहीं गयी है। अत: स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती है।


4. मंदाकिनी का वर्णन करने में ‘राम’ सीता को किन-किन रूपों में संबोधित करते हैं?

उत्तर – ‘परमपावनी गंगा’ की शोभा से वशीभूत ‘राम’ सीता को इसकी सुन्दरता का निरीक्षण करने के लिए अपने भाव प्रकट करते हैं; हे सीते ! प्रिये ! विशालाक्षि ! शोभने ! आदि संबोधन से संबोधित करते हैं।


5. मनुष्य को प्रकृति से क्यों लगाव रखना चाहिए?

उत्तर-  प्रकृति ही मनुष्य को पालती है, अतएव प्रकृति को शुद्ध होना चाहिए। यहाँ महर्षि वाल्मीकि प्रकृति के यथार्थ रूप का वर्णन करके मनुष्य को लगाव रखने का संदेश देते हैं। इससे हमारा जीवन सुखमय एवं आनंदमय होगा।


6. मंदाकिनीवर्णनम् से हमें क्या संदेश मिलता है?

उत्तर- मंदाकिनीवर्णनम् महर्षि वाल्मिकी-कृत रामायण के अयोध्याकांड के 95 सर्ग से संकलित है। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति हमारे चित्त को हर लेती है तथा इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है। प्रकृति की शुद्धता के प्रति हमें हमेशा ध्यान देना चाहिए।


7. मन्दाकिनी-वर्णनम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। “मन्दाकिनी” का वर्णन अपने शब्दों में करें। मंदाकिनी की शोभा का वर्णन किस रूप में किया गया है? चित्रकूट की गंगा की शोभा का वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर-वाल्मीकीय रामायण के अयोध्याकाण्ड की सर्ग संख्या-95 से संकलित इस पाठ में चित्रकूट के निकट बहने वाली मन्दाकिनी नामक छोटी नदी का वर्णन है। इस पाठ में आदिकवि वाल्मीकि की काव्यशैली तथा वर्णनक्षमता अभिव्यक्त हुई है। वनवास काल में जब राम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सुषमा से प्रभावित हो जाते हैं वे सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक उपादानों से संवलित चित्त को आकर्षित कर रही है। रंग-बिरंगी छटा वाली यह, हंसों द्वारा सुशोभित है। ऋषिगण इसके निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं। ऊँची कछारों वाली यह नदी अत्यन्त रमणीय लगती है। श्रीराम सीता को मन्दाकिनी का वर्णन सुनाते हैं।

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