9. आविन्यों VVI SUBJECTIVE QUESTION | CLASS 10TH HINDI VVI SUBJECTIVE QUESTION

class 10th hindi

प्रश्न 1. आविन्यों क्या है? वह कहाँ अवस्थित है?

उत्तर-आविन्यो दक्षिणी फ्रांस का एक मध्ययुगीन ईसाई मठ है। यह दक्षिणी फ्रांस में रोन नदी के किनारे अवस्थित है।


प्रश्न 2. हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

उत्तर-हर वर्ष आविन्यों में गर्मियों में फ्रांस और यूरोप का एक अत्यन्त प्रसिद्ध तथा लोकप्रिय रंग-समारोह हुआ करता है।


प्रश्न 3. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गया था? वहाँ उसने क्या देखा-सुना?

उत्तर-लेखक आविन्या पीटर बुक का विवादास्पद ‘महाभारत’ की प्रथम प्रस्तुति के अवसर पर वहाँ गया था। इस समारोह में शामिल होने के लिए उसे आमंत्रित किया गया था। उस वर्ष वहाँ भारत केन्द्र में था। पत्थर की खदान में महाकाव्यात्मक वह भव्य प्रस्तुति हुई थी। कुमार गंधर्व एक आकर्बिशप के बड़े आँगन में ‘द्रुमद्रुम लता-लता’ गाया था। इस समारोह के दौरान लेखक ने वहाँ के अनेक चर्च एवं पुराने स्थान को रंगस्थलिया में बदलने का सौन्दर्य देखा था।





प्रश्न 4. ला शत्रूज क्या है और वह कहाँ अवस्थित है? आजकल उसका क्या उपयोग होता है?

उत्तर-ला शत्रूज काथूसियन सम्प्रदाय का ईसाई मठ है। वह रोन नदी के दूसरी ओर आविन्यों का एक स्वतंत्र भाग वीलनन ल आविन्या अर्थात् आविन्या का नया गाँव या नई बस्ती है, जहाँ फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किला बनवाया था। आजकल इसका उपयोग रचनात्मक कार्यों में होता है। रंगकर्मी, रंग- संगीतकार, अभिनेता, नाटककार वहाँ अपना समय रचनात्मक काम करने में बिताते हैं।


प्रश्न 5. ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को ‘मौन का स्थापत्य’ क्यों कहा है ?

उत्तर-फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आविन्या की नई बस्ती में किला का निर्माण किया। उसी में ‘लॉ शत्रूज’ नामक काथूसियन संप्रदाय का ईसाई मठ है। चौदहवीं सदी से फ्रेंच क्रांति तक इसका धार्मिक उपयोग होता रहा। यह संप्रदाय मौन में विश्वास करता था, इसलिए सारा स्थापत्य मौन सूचक है। इसी कारण लेखक ने इसे मौन का स्थापत्य कहा है।


प्रश्न 6. लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गया था और वहाँ कितने दिनों तक रहा? लेखक की उपलब्धि क्या रही?

उत्तर-लेखक आविन्यों जाते समय अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तके तथा संगीत के कुछ टेप्स’ ले गए थे। वहाँ लेखक उन्नीस दिनों तक रहा तथा इस अवधि में उन्होंने पैंतीस कविताएँ तथा सत्ताईस गद्य रचनाएँ की।




प्रश्न 7. ‘प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है?

उत्तर- प्रतीक्षा करते हैं पत्थर’ शीर्षक कविता में कवि ने वैसे पत्थर का मानवीकरण किया है जो सदा शून्य भाव में रहता है। वह पत्थर सारे प्राकृतिक झंझावातो को सहते हुए उस व्यक्ति की प्रतीक्षा में लीन रहता है जो इस मौन पत्थर के मनोभावों का शब्द-चित्र खीचकर एक ऐसा स्वरूप प्रदान कर दे कि युग पर्यन्त उसकी चर्चा होती रहे। अत्: कवि के कहने का भाव है कि कवि अपनी सर्जनात्मक प्रतिभा द्वारा एक ऐसी रचना कर लेता है जो वर्ण्य-विषय के महत्त्व को बढ़ा देती है। तात्पर्य यह कि जब कवि

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